चन्द सिक्के जब चाँद जैसे नज़र आए
तो लगा अब तकना बंद करना चाहिए आसमान को
अब गरज , और बदली
का संगीत नहीं कोलाहल लगने लगा
तो बंद करनी चाहिए खिड़की
और जब तेरा प्यार करना
महसूस करना छोड़
तुममें ढूँढने लगा फ़िल्मी परछाइयाँ
तो बंद कर लेना चाहिए
अंदर का दरवाज़ा ..
सब बंद कर कहाँ खड़ा होऊँगा
यथार्थ में
या या किसी ऐसी जगह
जहाँ ख़ाली सिक्के, कोलाहल और परछाइयों की भी
बस छबि बची हो
...मुझे कस के पकड़ लो