Monday, April 10, 2017

मुझे कसके पकड़ लो

चन्द सिक्के जब चाँद जैसे नज़र आए
तो लगा अब तकना बंद करना चाहिए आसमान को
अब गरज , और बदली
का संगीत नहीं कोलाहल लगने लगा
तो बंद करनी चाहिए खिड़की
और जब तेरा प्यार करना 
महसूस करना छोड़
तुममें ढूँढने लगा फ़िल्मी परछाइयाँ
तो बंद कर लेना चाहिए 
अंदर का दरवाज़ा .. 
सब बंद कर कहाँ खड़ा होऊँगा
यथार्थ में 
या या किसी ऐसी जगह
जहाँ ख़ाली सिक्के, कोलाहल और परछाइयों की भी
बस छबि बची हो
...मुझे कस के पकड़ लो