हम यक़ीन करना चाहते हैं
के न्याय की देवी सोयी नहीं
के उसके सारे पुजारी वो पंडे नहीं हैं
जो गंगा तट पर खिंच तानकर
दक्षिणा लेते है जजमान से
हम यक़ीन करना चाहते हैं
के न्याय की देवी
किसी एक जजमान ने रखी हुई नहीं है
हम यक़ीन करना चाहते हैं
के उसके आँख की पट्टी खुली नहीं है
के वो झाँककर नहीं ले रही
किसी एक का पक्ष
हम यक़ीन करना चाहते हैं
आँख खोले सो नहीं रहा मेरा देश
के वो पट्टी जो बंधी है आँखो पर
वो किसी रंग से मैली नहीं हुई है!
हम यक़ीन करना चाहते हैं के
वो तराज़ू नहीं झुकेगा सत्ता की ओर
के सत्ता के और से जितना भी डाला जाए वज़न
जनशक्ति से कम ही तोला जाएगा
हम यक़ीन करना चाहते हैं
के दो बिल्लियों के लड़ाई में
बंदर नहीं चट कर पाएगा न्याय की रोटी !
हम यक़ीन करना चाहते हैं
के लोकतंत्र का पहला स्तम्भ
नहीं है इतना कमज़ोर
के हमें बात नहीं करने देगा !
हम जो लोक तंत्र के हैं लोग
हम यक़ीन करना चाहते हैं के
हम खुलकर बोल सकते हैं!
जी हम यक़ीन करना चाहते हैं
हमें यक़ीन है के
लब आज़ाद रहेंगे हमारे
ये जो ज़ुबान है और जज़्बा खौलता हुआ
उसे नहीं मिटा सकता दमन का ख़ौफ़
हमें यक़ीन है के आज जो देशद्रोही क़रार दिए जा रहे हैं
कल क्रांतिकारी कहलाएँगे
जो सच बात रखते हैं वो सच्चे कहलाएँगे
हमें यक़ीन है के इंसाफ़ के पुजारीयोंसे
इंसाफ़ ताक़तवर होगा!
हमें यक़ीन है हमें बोलने दिया जाएगा!