रुक जा.. थोड़ी थम जा
हवा को साँस तो लेने दे पगली!
के दम ना घुट जाए,
इस सपनों की बारिश में.
कुछ पल ऐसे भी
जब पल रुक जाए
जब हाथ से हाथ ना छूटे
जब पहेली ना बुझे
दूजी पहली से,
जब ठहर जाए ये
सारी कायनात,
जब ज़ुबान पर जूनून हो,
सच ना उतरे...
थोड़ी तो रुक जा
अभी तो घटा ने
कुछ कहा ही नहीं
अभी तो तेरे दिल ने
कुछ सुना ही नहीं!
ये आवाज़ें जो आती है,
जो जाती है
दिल के आरपार,
तेरे पलकों ने
इन्हें छुआ ही नहीं.
तुझे बड़ी जल्दी पड़ी है!
कुछ तय करने करने की.
अभी तो साये ने
अपनी कोख ढूँढी ही नहीं
रुक जा, थोड़ी थम जा
यह सारा घूँट बेचैनी का
ऐसे पी मत जा पगली,
अभी तो हवा ने साँस ली ही नहीं!
©rasika agashe
हवा को साँस तो लेने दे पगली!
के दम ना घुट जाए,
इस सपनों की बारिश में.
कुछ पल ऐसे भी
जब पल रुक जाए
जब हाथ से हाथ ना छूटे
जब पहेली ना बुझे
दूजी पहली से,
जब ठहर जाए ये
सारी कायनात,
जब ज़ुबान पर जूनून हो,
सच ना उतरे...
थोड़ी तो रुक जा
अभी तो घटा ने
कुछ कहा ही नहीं
अभी तो तेरे दिल ने
कुछ सुना ही नहीं!
ये आवाज़ें जो आती है,
जो जाती है
दिल के आरपार,
तेरे पलकों ने
इन्हें छुआ ही नहीं.
तुझे बड़ी जल्दी पड़ी है!
कुछ तय करने करने की.
अभी तो साये ने
अपनी कोख ढूँढी ही नहीं
रुक जा, थोड़ी थम जा
यह सारा घूँट बेचैनी का
ऐसे पी मत जा पगली,
अभी तो हवा ने साँस ली ही नहीं!
©rasika agashe