एक सपने की आख़िर
एक सपना भोला भाला सा
छैल छबीला
नाचता गाता
कभी फुदकता
कभी अकड़ता
नयी राह
पुरानी गालियाँ
रूखे मकान
मचलती कलियाँ
कुछ वादे
कुछ कमियाँ
हरे पत्ते की
लहराती डलिया
सपने की नाव
हवा में उड़ती
कभी बिफ़रती
कभी संभलती
कभी पंखों में
घुसी रहतीं
सपना टूटा
जैसे पत्ता
लहराता झूमता
ज़मीन पे उतरा
यही तो रखा था
संजोग कर सपने को
फिर उड़ चला
किस दिशा में
सपने देखे जाते हैं
आदिम काल से
टूटने के लिए...
जो पुरा हुआ
वो सच
जो अधूरा रहा
वही तो सपना
©rasika agashe
एक सपना भोला भाला सा
छैल छबीला
नाचता गाता
कभी फुदकता
कभी अकड़ता
नयी राह
पुरानी गालियाँ
रूखे मकान
मचलती कलियाँ
कुछ वादे
कुछ कमियाँ
हरे पत्ते की
लहराती डलिया
सपने की नाव
हवा में उड़ती
कभी बिफ़रती
कभी संभलती
कभी पंखों में
घुसी रहतीं
सपना टूटा
जैसे पत्ता
लहराता झूमता
ज़मीन पे उतरा
यही तो रखा था
संजोग कर सपने को
फिर उड़ चला
किस दिशा में
सपने देखे जाते हैं
आदिम काल से
टूटने के लिए...
जो पुरा हुआ
वो सच
जो अधूरा रहा
वही तो सपना
©rasika agashe
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