Meri Kavita...
Tuesday, August 27, 2019
उड़ान
अनजान
पलों
के
बीच
क़ैद
आज
की ये
रात
मेरे
हथेलिसे
तो
छूट
गयी
तेरे
हथेलियों
पे
काँच
के
निशान
गहरी
चोट
…
हम
तो
बस
पतंग
उड़ा
रहे
थे
सपने
का
माँजा
टूटा
तो
ऐसे
काट
गया
के
हाथ
की
रेखा
लहू
से
भर
गयी
…
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