Wednesday, August 19, 2020

Hum yakin karna cahahte hain

 हम यक़ीन करना चाहते हैं

के न्याय की देवी सोयी नहीं
के उसके सारे पुजारी वो पंडे नहीं हैं 
जो गंगा तट पर खिंच तानकर 
दक्षिणा लेते है जजमान से 
हम यक़ीन करना चाहते हैं
के न्याय की देवी 
किसी एक जजमान ने रखी हुई नहीं है 

हम यक़ीन करना चाहते हैं
के उसके आँख की पट्टी खुली नहीं है
के वो  झाँककर नहीं ले रही 
किसी एक का पक्ष 
हम यक़ीन करना चाहते हैं 
आँख खोले सो नहीं रहा मेरा देश 
के वो पट्टी जो बंधी है आँखो पर 
वो किसी रंग से मैली नहीं हुई है!

हम यक़ीन करना चाहते हैं के 
वो तराज़ू नहीं झुकेगा सत्ता की ओर 
के सत्ता के और से जितना भी डाला जाए वज़न
जनशक्ति से कम ही तोला जाएगा 
हम यक़ीन करना चाहते हैं 
के दो बिल्लियों के लड़ाई में
बंदर नहीं चट कर पाएगा  न्याय की रोटी !

हम यक़ीन करना चाहते हैं 
के लोकतंत्र का पहला स्तम्भ
नहीं है इतना कमज़ोर
के हमें बात नहीं करने देगा !
हम जो लोक तंत्र के हैं लोग 
हम यक़ीन करना चाहते हैं के 
हम खुलकर बोल सकते हैं!
जी हम यक़ीन करना चाहते हैं 

हमें यक़ीन है के 
लब आज़ाद रहेंगे हमारे
ये जो ज़ुबान है और जज़्बा खौलता हुआ 
उसे नहीं मिटा सकता दमन का ख़ौफ़ 
हमें यक़ीन है के आज जो देशद्रोही क़रार दिए जा रहे हैं
कल क्रांतिकारी कहलाएँगे 
जो सच बात रखते हैं वो सच्चे कहलाएँगे 
हमें यक़ीन है के इंसाफ़ के पुजारीयोंसे 
इंसाफ़  ताक़तवर होगा!
हमें यक़ीन है हमें बोलने दिया जाएगा!