Friday, March 31, 2017

जाहील

ये जो दुनिया,जाहील होती जाती,
मनु की है या आदम की!
और मैं यहाँ intellectual बनी
किसे ढूँढ़ रही हूँ?
तुमने तो अपना सब बेच दिया!
ज़मीर की spelling क्या होती है?
और सपने का मतलब?
मैं कोई पता नहीं पूछ रही!
के झटक दोगे तुम.
ये जो लिखा जाएगा ना,
इतिहास मेरा तुम्हारा,
पढ़ेलिखे गवारों का Account statement ना लगे,
बस इतनी चिंता है!
बाक़ी मेरे पीछे pseudo
ये चिपकाकर गाली,
तुमने काम आसान किया है
सबका!
जो १०० साल बाद पढ़ेंगे कहानी
हमारे युग की,
इसको comedy मानेंगे
या मानवता पर लिखा satire
तय नहीं कर पा रही हूँ!
बाक़ी जहिलों का तमाशा 
देखने में शायद मज़ा ही आये
अगली पीढ़ी को!!

Saturday, March 4, 2017

कुछ गड़बड़ हो रही है 
रासायनिक, आणविक शस्त्रो की खुले आम बातचीत  
इलेक्शन की गरमागर्मी..
जब खोलो टीवी  सेट
वही बहस वही आतंक 
..पता नही मुझे नींद क्यूँ नही आती 

आज कुछ मारे गए
कल कुछ और
सारे एक जैसे दिखने वाले ..
और बचे हैं कुछ नारे
ख़ून में लिथड़े हुए!

मानवतावादी होना गाली है आज! 
और आधा अख़बार भर कर आता है,
 दुनिया भर कि राजनैतिक दुष्ट चित्रों के साथ
जो ना तेरे है, ना मेरे हैं 
और बचा आधा, फ़िल्मे, क्रिकेट, फ़ुट्बॉल, गाने,
 एक अलग रंगीन  चकाचक दुनिया
जो ना तेरी है, ना मेरी है 
..और नींद ना जाने कहाँ ग़ायब है 

सबकी समझ पर न जाने कैसी पट्टी बंधी है।
आवेश, अभिनिवेश हैं मुख्य कलाकार 
जो जितनी ज़ोर से चीखे
जितनी फूली हो नसे गले की
महान है!
चाहे 'बात' कुछ की ही ना हो!
किससे लड़े? किस किससे लड़े? 
कोई सुनने को तय्यार नहीं।

सब मना  रहे त्योहार
डाल  रहे वोट  
नाचते गाते रोड शोज़, सभाओं में 
इतने लोग जो आते  हैं, रंगोसे लदे 
क्या चैन की नींद सो रहे हैं!
सारे हत्यारे, नेता, बड़बोले 
बलात्कारी, अत्याचारी 
फ़ेसबूक, ट्विटर पर धमकियाँ देने वाले,
अगर सब चैन की नींद सो रहे हैं!
तो मुझे नींद क्यूँ नही आती ..
©rasika