Wednesday, March 7, 2018

स्त्रियोंकी बिस्तर की कहानी

कितने स्त्रियोंकी बिस्तर की कहानी
कुछ अनकही
कुछ उनकी ज़ुबानी
बिस्तर वही मैला कुचेला
गुलाब की पंखुड़ियों से सना
कभी सूखा कभी गिला
कभी आवेश कभी दुर्बलता
कभी साँसे रूकती
कभी पलकों का टकराना
तू मेरा राजा मैं तेरी रानी
अब ये बिस्तर ही हमारी जिंदगानी
वही तड़पन गंगा वही उर्वशी
वही चंदाकी वही बीबी आएशा की
मेरी तृप्ति का साधन नहीं बन सकते तुम
कामकुंडलाकी भविष्यवाणी
लोककथाओका पार पाती
अंदर उमड़ता ज्वार 
सिर्फ़ पुरुषोंके नहीं
स्त्रियायों के अंदर भी आता है
और पूरा ना कर पाए कोई
तो स्त्री भटकती है दूसरे द्वारों पर डरी हुई सहमी हुई
हर बार अपराधी होती
यही सीख है यही लोक राग 
किसी एक की हो तुम
I am woman of good sex appetite 
 कैसे कहेगी ये किसिसे
सस्ते लगने का डर
सबसे बड़ा डर होता है
और चाहे गंगा सिंधु हो
या बीबी आएशा या आज की कोई सैंड्रा
डर सबको लगता है
और सिर्फ़ हलक ही क्या पूरा शरीर सूखता है
ये कहानी सिर्फ़ बिस्तर की कहानी नहीं रहती!
भावनाओंसे छेड़खानी
कुछ अहम कुछ वादे
कुछ क़समें कुछ नाते
सब दाव पर लग जाते है
औरत बिस्तर की की कहानी का अंत देख लेती है
कहानी बदल देती है
अब कहानी सिर्फ़ सूखने की है
अब पता चला
महिलाओं की कहानी में इतना अकेलापन कहाँसे आता है।

रसिका आगाशे