Wednesday, May 6, 2015

इंसानी मौत के सस्ते होने में हम सब का हाथ है
शोर...तेज़....मीडिया
तेज़ चलती गाड़ियां
..कुछ शराबी कुछ कुछ बेहोश
कुछ होशवाले खो बैठे हैं होश
आया है बस मौत को जोश
...इस में हम सब का हाथ है

हम नहीं लड़े किसी के लिए
न उठाई आवाज़
घर पर बैठे देखे तमाशे,
मौत का भी तमाशा हो गया आज
अब मत पुचकारो
...इस में हम सब का हाथ है..

हम नहीं थे पहिये के पीछे
न हम मौजूद अदालत में
टीवी स्क्रीन पर चिल्लाने वाले भी हम न थे
हम तो मौन थे..मौन है
जब लोग रस्ते पे ज़िन्दगी बसर करने पर मजबूर...
हम सोशल मीडिया पर कोरी कविता लिख सकते हैं..
हम सब के हाथ लाल हैं..
मौत के सस्ते होने में हम सबका हाथ है..

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