Monday, February 6, 2017

कुछ ख़ाली.. कुछ लम्हे 

कुछ ख़ाली ..कुछ लम्हे
कुछ बात ..टूटीसी
दो दरवाज़े
ना खुलनेवाले
कुछ सीढ़ी झुकी सी 

कुछ शब्द.. थमे से
कुछ बाते ..बौराई
ठंडे आँगन में लिपटे
जिस्म थर्राये
कुछ वादे मैं, कर आयी 

कुछ आवाज़ें ...कुछ पंक्तियाँ
कुछ धड़कन ...शर्माई
मेरी रुके साँस
तेरा बदन
और आँखें महक आयी! 
©®rasika 

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