Monday, December 23, 2019

मैं हमेशा सोचती थी 
मुसलमान कैसे से होते हैं 
कहाँ रहते हैं?
गंदगी से भरे मोहल्ले,  कटे लटके जानवर 
दंगाई तस्वीरों में टोपी पहने जवान लौंडे 
पाकिस्तान जीतने पर फूटने वाले पटाखे 
मैंने उनको नहीं सुना था , उनके बारे में सुना था !

मैं हमेशा कहती थी 
मुसलमानों को इस देश में डरने की क्या ज़रूरत है 
किसी के नाम के आगे मोहोम्मद लगा होता है,
तो उसकी अलग जाँच थोड़ी होती है
किसी की दाढ़ी बढ़ी हुई है तो
रेल स्टेशन पर उसकी तफ़तीश थोड़े होती है 
अल्पसंख्याक होने का  डर !
मैंने इसे नहीं देखा था, इसके बारे में सुना था 

और वो भी दिन आया 
जब ब्याह कर एक मुसलमान के घर आयी 
मैं हमेशा के तरह फिर कुछ कह ही ना पायी 
के ये घर मेरे हिंदू घर जैसा ही था!
वही बेटों के लिए परेशान होती अम्मी थी
वहीं बहु बेटी का लाड़ प्यार था 
वही पढ़ाई की ज़िद थी
वही देश का नाम रोशन करने का ख़्वाब था
पर क्या ये देश मैंने इनका रहने दिया था 
क्यूँ के इतने साल से मैंने इनका साथ महसूस नहीं किया था
बस इनके बारे में सुना था!
 रसिका आगाशे

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