Wednesday, December 14, 2011

hum jo rote hain

हम जो रोते है
बाढ पीडीतोंके हालात सुनकर, पढकर
दंगाग्रस्त एलाको कि तस्वीरे देखकर
बम फटते है, फटते हि रहते है
हम जो रोते है,किसी जाननेवले कि बुरी मौत सुनकर
जाने पहचाने शहरो के ताबाही के दृश्य देखकर
हम, जो बाते करते है
इंसानियात कि खौफ्नाक   मौतकि
भाई के भाई से नागवारा होने कि...
जिंदगी में हाद्से होते हि रहते है.
हम, जिनकी जिंदगी दूर है, हादसो से
बुरी आह्टो से, सदमो से..अल्लाह का शुक्र है
रोते राहते है
मुसिबत में  फसे लोगो  के लिये,
अन्याय से पिडीत दुर् दराज  कि क़ौम के लिये..
चूप से सहन कर जाते  है,
अपने छोटे छोटे घाव
जो हमारी हि अनदेखी कोताही के कारण
जखम बन जाते है, कभी न भरनेवाले
हम, जो सिर्फ रोते है...

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