Tuesday, August 30, 2016

किसी के होंठो  पर
किसी के हाथों में
कहानी का रास्ता बड़ा बीहड़
राह  चलते टकरा गया कोई
सांस  वही अटकी हुई
कभी किसी की आँखे गीली
कभी मेरी आंते नम
अंदर तक गहराई ख़ामोशी
ऊपर सिर्फ चंद  लहरे
और धुंआ धुंआ बदन
कभी चन्दन  कभी सरगम
अब किस का इंतज़ार है
सब तरफ बर्फ बर्फ
नीली पिली सरगोशी
और। ...
ये शब्द मेरे नहीं
मेरे बस में नहीं


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