Sunday, July 2, 2017

कुछ ख़ाली कुछ लम्हे
कुछ बात टूटीसी
दो दरवाज़े
ना खुलनेवाले
कुछ सीढ़ी झुकीसी

कुछ शब्द थमे से
कुछ बाते बौराई
ठंडे आँगन में लिपटे
जिस्म थर्राये
कुछ वादे कर आयी

कुछ आवाज़ें कुछ पंक्तियाँ
कुछ धड़कन शर्माई
मेरी रुके साँस
तेरा बदन
और आँखें महक आयी
©rasika agashe 

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