on women's day
आज के दिन
आज के दिन
घोषित करना चाहती हूँ
आदिशक्ति नहीं हूँ मैं
ना वो ख़ूबसूरत औरत
जो बस मर्दों की नज़र से
होती है ख़ूबसूरत
ना मैं वो हूँ
जिसे तुमने शॉपिंग
'गुलाबी 'दुनिया में क़ैद किया है!
माँ, बहन, बीवी ,बेटी
इसके अलावा होता है अस्तित्व
जो शायद तुम भूल गये हो
आज के दिन
जब तुम देते मुबारकबाद
क्यूँ की मैंने सहें हैं दुःख!
क्यूँ ना काट कर देते वो दुःख की जड़
जिसपर तुम बैठे मुझे ताक रहे हो
दुनिया की सारी औरतें
शायद यही कहना चाहती हैं
दुनियाँ के तमाम मर्दों से,
हमें सुकून की साँस लेने दो !!
©rasika agashe
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