Saturday, November 9, 2019

 ये जगह तेरी ..
ये जगह मेरी ...
ये साँसे मेरी
सारी हवा तेरी !
कुछ कहानियाँ मेरी 
किरदार सिर्फ़ तेरे !
आँखो के आगे का 
अंधियारा भी तेरा,
मेरे घुटते गले में 
आवाज़ भी तेरी ,
और सिर उठा के चलूँ
तो आसमाँ भी तेरा !
और तू कहता है 
क्या तेरा क्या मेरा!
हाँ भाई अब से
मेरा इतिहास भी तेरा !
मेरी कशिश तेरी,
मेरी तहज़ीब तेरी !
गंगा तो तेरी ही थी 
अब जमना भी तेरी ...
बस आँखो से टपकते आँसू मेरे
शर्म से झुकी गर्दन मेरी 
ढुलका हुआ लहू मेरा 
ना ये मज़हब नहीं है मेरा
ना तेरा धर्म है कहीं से मेरा ..
बस कुछ दबी कुचली 
पर  ख़्वाहिशें हैं  मेरी,
तेरी डरावनी रात के बाद
काश बस सवेरा हो मेरा!

रसिका 

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