Monday, January 29, 2018

तुम मेरी कविताओं में 
मुझे ढूँढने की कोशिश मत करना
ना मेरी गली में इस देश को ..
अब मेरे साये के भी छिलके बचे हैं
और मेरा सूनापन क़तई रूमानी नहीं।
वो उतना ही सच्चा है,
जितनी ये दुनिया और अँधियारा
मेरे गले में और गली में है रोशनी,
निऑन साइन की जगमगाहट काम हो..
तो झाँक लो..
मेरी गली में, और कविता में 

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